
दिल्ली में छठ पूजा से पहले यमुना नदी की सफाई के नाम पर डी-फोमर केमिकल डाले जाने को लेकर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सवाल उठाया कि “बिना इंसानों की सेहत पर असर की जानकारी लिए यमुना में रसायन डालना बेहद चिंताजनक है। सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए।“
अखिलेश ने आगे कहा कि यमुना केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है — यह मथुरा, प्रयागराज होते हुए गंगा में मिलती है, जिससे काशी तक के जल में प्रदूषण फैल सकता है।
अरबों खर्च फिर भी गंगा-यमुना की हालत जस की तस: अखिलेश
पूर्व मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि पिछले कई सालों में नदियों को साफ करने के नाम पर अरबों रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं आया। उन्होंने सवाल उठाया:
“आखिर वो पैसा गया कहां? इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई जरूरी है।“
अखिलेश ने दोहराया कि भारत में नदियां केवल जल स्रोत नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था का प्रतीक हैं। उन्हें गंदा करना अक्षम्य अपराध है।
क्या है डी-फोमर? छठ पूजा से पहले यमुना को झागमुक्त करने की कोशिश
दिल्ली सरकार ने यमुना में झाग कम करने के लिए डी-फोमर (Defoamer) नामक केमिकल का छिड़काव शुरू किया है। सरकार का दावा है कि इससे यमुना की सतह साफ़ होगी और छठ पूजा के दौरान श्रद्धालु बेहतर अनुभव ले सकेंगे।
लेकिन कई विशेषज्ञों और नेताओं ने सवाल उठाया है कि यह उपाय तत्कालिक भले हो, लेकिन स्थायी समाधान नहीं है और इससे मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
‘आप’ बनाम बीजेपी: केमिकल को लेकर पुराना बयान बना हथियार
आम आदमी पार्टी विधायक संजीव झा ने बीजेपी पर हमला बोला कि “पहले बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने इसी केमिकल को ‘जहरीला’ बताया था, अब वही इस्तेमाल क्यों हो रहा है?“
उन्होंने पूछा कि अगर यह केमिकल सुरक्षित है, तो पहले इसे जहरीला क्यों बताया गया? और अगर हानिकारक है, तो इसका इस्तेमाल क्यों हो रहा है?

दिल्ली सरकार का बचाव: CM रेखा गुप्ता ने कहा – “सुरक्षित है केमिकल”
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सफाई दी है कि “हम जो केमिकल इस्तेमाल कर रहे हैं वह पूरी तरह टेस्टेड और सुरक्षित है। छठ पूजा श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए यह कदम उठाया गया है।“
उन्होंने कहा कि सरकार पर्यावरण और आस्था, दोनों का ध्यान रखते हुए कार्य कर रही है।
झाग, प्रदूषण और आत्मसम्मान: यमुना को लेकर हर साल क्यों उठता है सवाल?
हर साल छठ पूजा से पहले यमुना में झाग, प्रदूषण और गंदगी को लेकर प्रशासन हरकत में आता है। लेकिन स्थायी समाधान की बजाय तुरंत दिखाने वाले उपाय किए जाते हैं।
सवाल यह है — क्या यह सफाई केवल कैमरे और सोशल मीडिया के लिए है? या वास्तव में श्रद्धालुओं और पर्यावरण के लिए कुछ गंभीर किया जा रहा है?
आस्था बनाम प्रशासनिक रवैया
अखिलेश यादव और आम आदमी पार्टी द्वारा उठाए गए सवाल यमुना की सफाई को केवल एक धार्मिक मुद्दा नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और पारदर्शिता का मामला बनाते हैं।
जब नदियां हमारी संस्कृति, आस्था और जीवनशैली से जुड़ी हों, तो उनसे जुड़ी हर नीति को गंभीरता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ईमानदारी से लागू किया जाना चाहिए।
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